Grah Prabhav Aur Upay

Grah

ग्रह हमारे जीवन में अहम भूमिका निभाते हैं। हमारी खुशी और दुख दोनों के लिए यह जिम्मेदार होते हैं। मनुष्य जब जन्म लेता है तभी से ग्रहों की स्थिति उसके जीवन पर प्रभाव डालना शुरु कर देती है। ज्योतिषाचार्य जन्म कुंडली में इन्हीं ग्रहों की स्थिति देखकर मनुष्य का स्वभाव, कद-काठी और उसके भविष्य के बारे में पता लगाते हैं।


ज्योतिष में ग्रहों की स्थिति, व्यक्ति के स्वभाव, कद-काठी, और भविष्य के बारे में बताती है. ग्रहों की प्रकृति और स्वभाव के बारे में कुछ जानकारीः


मंगल जहाँ बैठता है और जहाँ देखता है, वहां सभी को हानि पहुंचाता है.
सूर्य अपने स्थान बल के अनुसार लाभ देता है.
शनि, जिस घर में बैठता है, उस घर में फलों की वृद्धि लाता है.
शनि एक पापी ग्रह है.
कमज़ोर शनि जातक को आलसी, सुस्त और हीन मानसिकता का बनाता है.
मंगल ग्रह के कमज़ोर होने से खून और पेट संबंधी बीमारी, पित्त, जिगर और फ़ोड़े निकल जाते हैं.
शुक्र के कमज़ोर होने से त्वचा संबंधित परेशानियां होती हैं.
बुध के कमज़ोर होने से चेचक, दांत और जीभ से संबंधित रोग होते हैं.
शनि के कमज़ोर होने से खांसी की बीमारी और नेत्र रोग होता है.
ज्योतिष में शुभ ग्रह में बृहस्पति और शुक्र हैं.
क्रूर ग्रह में सूर्य, मंगल, शनि, राहु और केतु शामिल हैं.
बुध को तटस्थ ग्रह है.
चंद्रमा शुभ ग्रह और अशुभ ग्रह दोनों श्रेणी में है.
ज्योतिष के मुताबिक, ग्रहों की स्थिति के मुताबिक, व्यक्ति के जीवन में शुभ और अशुभ प्रभाव पड़ता है. ग्रहों के शुभ प्रभाव के बारे में कुछ जानकारीः
कुंडली में चंद्रमा, बुध, और शुक्र जिस स्थान पर बैठते हैं, वहां शुभ फल देते हैं.
जन्म के दशम भाव में स्थित सूर्य, शनि, और चंद्रमा शुभ फल देते हैं.
जन्म के एकादश भाव में सभी ग्रह शुभ फल देते हैं.
जन्म के द्वादश भाव में बुध और शुक्र सब प्रकार के सुखों को प्रदान करते हैं.
कुंडली में राहु ग्रह तीसरे, छठे, या फिर ग्यारहवें भाव में हो तो वह जातक को शुभ फल प्रदान करता है.
बुध, शुक्र, और शनि धनकारक ग्रह होते हैं. जब ये ग्रह या भाव किसी भी अन्य ग्रह या भाव पर दृष्टि डालते हैं, तो धन योग बनता है.


ज्योतिषशास्त्र में कुण्डली के नवम घर को भाग्य स्थान कहा जाता है. इस घर में जो ग्रह बैठा होता है या जो ग्रह इस घर को देखता है उसके अनुरूप व्यक्ति को भाग्य का सहयोग प्राप्त होता है.


ज्योतिष के मुताबिक, ग्रहों की उच्च और नीच अवस्था इस प्रकार है:


सूर्य मेष राशि में उच्च का और तुला राशि में नीच का होता है.
चंद्रमा वृषभ राशि में उच्च का और वृश्चिक राशि में नीच का होता है.
मंगल मकर राशि में उच्च का और कर्क राशि में नीच का होता है.
बुध कन्या राशि में उच्च का और मीन राशि में नीच का होता है.
गुरु कर्क राशि में उच्च का और मकर राशि में नीच का होता है.
शुक्र मीन राशि में उच्च का और कन्या राशि में निम्न का होता है.
शनि तुला राशि में उच्च का और मेष राशि में नीच का होता है.


ज्योतिष के मुताबिक, ग्रहों की उच्च और नीच अवस्था का व्यक्ति के स्वभाव और भविष्य पर असर पड़ता है.


ज्योतिष के मुताबिक, बुध ग्रह कन्या राशि में उच्च का और मीन राशि में नीच का होता है. कन्या राशि के 15 अंश तक बुध उच्च का और मीन राशि के 15 अंश तक नीच का होता है.
बुध ग्रह मिथुन और कन्या राशियों का स्वामी है. यह सूर्य और शुक्र के साथ मित्र भाव से, चंद्रमा से शत्रुतापूर्ण और अन्य ग्रहों के प्रति तटस्थ रहता है.
ज्योतिष के मुताबिक, बुध की कृपा से जातक विद्वान होता है, उसकी तर्क क्षमता मज़बूत होती है और संचार कौशल में बेहतर होता है. बुध के 15 अंश पर परम उच्च और नीच का होता है. यह उत्तर दिशा का स्वामी है.


ज्योतिष के मुताबिक, बुध ग्रह तब नीच का होता है जब वह अपनी नीच राशि मीन में हो या फिर छठे या आठवें भाव में किसी नीच ग्रह के साथ हो. बुध ग्रह मीन राशि में नीच का होता है. इसके अलावा, यह त्रिक भाव में भी कमज़ोर माना जाता है.


ज्योतिष के मुताबिक, बुध ग्रह के खराब होने पर जातक अपने विचारों को सही रूप में बोलकर पेश नहीं कर पाता. साथ ही, ऐसा व्यक्ति गणित विषय में कमज़ोर होता है और उसे गणना करने में परेशानी का सामना करना पड़ता है. उसकी तार्किक क्षमता भी कमज़ोर होती है.


कुंडली में बुध ग्रह के कमज़ोर होने के कुछ और संकेत:


अगर आपको लगे कि आप दिनों-दिन कर्ज़ के बोझ के तले दबते जा रहें.
व्यक्ति के मान-सम्मान में कमी आने पर बुध ग्रह के कमज़ोर के लक्षण होते हैं.
जब व्यक्ति को त्वचा संबंधी रोग पैदा होने लगे और मुख से तेज़ गायब हो तो समझिए आपकी कुंडली में बुध ग्रह कमज़ोर है.
कुंडली में बुध ग्रह कमज़ोर होने पर कुछ और परेशानियां:
आर्थिक तंगी.
मान-सम्मान, यश में कमी.
पढ़ाई में मन ना लगने की परेशानी.
बुद्धि भ्रष्ट होने की समस्या.
वैदिक ज्योतिष में बुध ग्रह को बुद्धि, तर्क, संवाद, गणित, चतुरता, व्यापार और मित्र का कारक माना जाता है. इसके अलावा, बुध ग्रह को एकाग्रता, वाणी, त्वचा, सौंदर्य, सुगंध, और व्यापार का कारक भी माना जाता है. बुध ग्रह संचार और कान, नाक, गले से भी सम्बन्ध रखता है.
ज्योतिष के मुताबिक, बुध ग्रह के खराब होने पर जातक अपने विचारों को सही रूप में बोलकर पेश नहीं कर पाता. साथ ही, ऐसा व्यक्ति गणित विषय में कमज़ोर होता है और उसे गणना करने में परेशानी का सामना करना पड़ता है. उसकी तार्किक क्षमता भी कमज़ोर होती है.
बुध ग्रह को ग्रहों का राजकुमार कहा जाता है. अगर कुंडली में बुध की स्थिति सही हो तो जीवन में कभी किसी चीज़ की कमी का सामना नहीं करना पड़ता.

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