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Kalsarp Dosha

कालसर्प दोष ज्योतिष शास्त्र में एक प्रमुख दोष है, जो व्यक्ति की कुंडली में राहु और केतु के बीच सभी ग्रहों के आ जाने पर बनता है। इसे व्यक्ति के जीवन में विभिन्न समस्याओं का कारण माना जाता है, जैसे आर्थिक कठिनाइयाँ, वैवाहिक समस्या, करियर में बाधा, और मानसिक तनाव।


कालसर्प दोष के प्रकार:

कालसर्प दोष 12 प्रकार के होते हैं, जो राहु और केतु की स्थिति और उनकी दिशा पर आधारित होते हैं:

  1. अनन्त कालसर्प दोष:
    जब राहु प्रथम भाव (लग्न) और केतु सप्तम भाव में हों, तो इसे अनन्त कालसर्प दोष कहते हैं।

    • प्रभाव: मानसिक तनाव, पारिवारिक अस्थिरता।
  2. कुलिक कालसर्प दोष:
    राहु द्वितीय भाव और केतु अष्टम भाव में स्थित हो।

    • प्रभाव: आर्थिक हानि, पारिवारिक विवाद।
  3. वासुकी कालसर्प दोष:
    राहु तृतीय भाव और केतु नवम भाव में हो।

    • प्रभाव: भाई-बहनों के साथ समस्याएँ, भाग्य का कमजोर होना।
  4. शंखपाल कालसर्प दोष:
    राहु चतुर्थ भाव और केतु दशम भाव में हों।

    • प्रभाव: करियर और संपत्ति से संबंधित समस्याएँ।
  5. पद्म कालसर्प दोष:
    राहु पंचम भाव और केतु ग्यारहवें भाव में हो।

    • प्रभाव: शिक्षा, प्रेम, और संतान से संबंधित परेशानी।
  6. महापद्म कालसर्प दोष:
    राहु छठे भाव और केतु द्वादश भाव में हो।

    • प्रभाव: स्वास्थ्य समस्याएँ, शत्रुओं का प्रकोप।
  7. तक्षक कालसर्प दोष:
    राहु सप्तम भाव और केतु प्रथम भाव में हो।

    • प्रभाव: वैवाहिक जीवन में कठिनाइयाँ।
  8. कर्कोटक कालसर्प दोष:
    राहु अष्टम भाव और केतु द्वितीय भाव में हो।

    • प्रभाव: अचानक दुर्घटनाएँ, धन हानि।
  9. शंखनाद कालसर्प दोष:
    राहु नवम भाव और केतु तृतीय भाव में हो।

    • प्रभाव: भाग्य की बाधाएँ, धार्मिक कार्यों में रुकावट।
  10. पातक कालसर्प दोष:
    राहु दशम भाव और केतु चतुर्थ भाव में हो।

    • प्रभाव: करियर और पेशेवर जीवन में समस्याएँ।
  11. विशधर कालसर्प दोष:
    राहु ग्यारहवें भाव और केतु पंचम भाव में हो।

    • प्रभाव: आर्थिक नुकसान, संतोष की कमी।
  12. शेषनाग कालसर्प दोष:
    राहु द्वादश भाव और केतु छठे भाव में हो।

    • प्रभाव: मानसिक तनाव, स्वास्थ्य समस्याएँ।

कालसर्प दोष के निवारण के उपाय:

  1. नाग पूजा:
    नाग देवता की पूजा करें। नाग पंचमी के दिन विशेष पूजा का महत्व है।
  2. रुद्राभिषेक:
    भगवान शिव का रुद्राभिषेक कराना इस दोष के निवारण में प्रभावी माना जाता है।
  3. महामृत्युंजय मंत्र जाप:
    “ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
    उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मा अमृतात्॥”
    इस मंत्र का 108 बार जाप करें।
  4. कालसर्प योग पूजा:
    त्र्यंबकेश्वर (महाराष्ट्र), उज्जैन (महाकाल), या अन्य प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग में कालसर्प दोष निवारण पूजा कराएं।
  5. नागों का दान:
    नाग प्रतिमा का सोने, चाँदी, या तांबे में बनवाकर दान करें।
  6. हनुमान चालीसा का पाठ:
    मंगलवार और शनिवार को हनुमान चालीसा पढ़ें और बजरंग बली की आराधना करें।
  7. सर्पसूक्त का पाठ:
    सर्पसूक्त का नियमित पाठ दोष को शांत करने में सहायक है।
  8. गुरु का आशीर्वाद लें:
    किसी योग्य ब्राह्मण या गुरु से सलाह लेकर विशेष अनुष्ठान कराएं।
  9. ज्योतिषीय रत्न:
    ज्योतिषी की सलाह से गोमेद (राहु) और लहसुनिया (केतु) धारण करें।
  10. दान और सेवा:
    तांबे का नाग, काले तिल, दूध, गुड़ और चावल का दान करना भी लाभकारी होता है।

विशेष ध्यान:

  • कालसर्प दोष से डरने की आवश्यकता नहीं है। इसका प्रभाव व्यक्ति की कुंडली में अन्य ग्रहों की स्थिति और योग पर निर्भर करता है।
  • दोष का निवारण सही विधि और श्रद्धा से करें।